Swati Sharma

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लेखनी कहानी -07-Nov-2022 हमारी शुभकामनाएं (भाग -8)

हमारी शुभकामनाएं:-


नवरात्रि महोत्सव:-

                            नवरात्रि हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है। नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है \'नौ रातें\'। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवाँ दिन दशहरा के नाम से प्रसिद्ध है। नवरात्रि वर्ष में चार बार आता है। माघ, चैत्र, आषाढ, अश्विन मास में प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है।
                          कई लोग इन नौ दिनों में व्रत/उपवास भी रखते हैं, वह भी पूरे नौ दिनों तक। कई लोग शुरू और अंतिम दिन में व्रत/उपवास रखते हैं। कई लोग इन नौ दिनों में डांडिया या गरबा भी खेलते हैं। इसके लिए या तो वे किसी संस्थान में जाते हैं या फिर वे अपने ही मोहल्ले या घर पर भी इसका आयोजन करते हैं। 
                             भूमिका को भी नवरात्रि महोत्सव बेहद पसंद है। वह इन दिनों मां दुर्गा की आराधना करती एवम अंतिम दिन नौ कन्याओं का पूजन कर उन्हें भोजन करवाकर कुछ भेंट देकर विदा करती। वे कन्याएं उसे आशीर्वाद देती। अतः प्रसन्न होकर वहां से विदा होती। 
                             कोरोना के समय जब कन्या पूजन के लिए कन्याएं नहीं मिल पा रहीं थीं, तब उसने जो भेंट और उपहार वह कन्याओं को देती थी अपने विद्यालय के बच्चे जो, बेहतरीन प्रदर्शन देते उन्हें दी और उनको सम्मानित किया।
                             इस बार भी उसके समक्ष यही प्रश्न था कि पता नहीं कोई कन्या आएगी भी या नहीं। तब उसने विचार किया कि यदि नहीं आईं तो मैं गौ माता को ही भोजन करवा दूंगी। इस तरह विचार कर वह निश्चिन्त हो गई। जब अष्टमी का दिन आया तो उसकी माता ने सामने एक बालिका से दो कन्या लाने को कहा। परंतु, यह क्या वह तो पूरी नौ कन्याओं को ले आई।
                             तब भूमिका ने विचार किया कि क्यों न इन्ही कन्याओं को कल यानि नवमी के लिए भी आमंत्रित कर दिया जाए। उसने उन सभी कन्याओं को नवमी के भोजन हेतु आमंत्रित कर दिया।
                             नवमी का दिन आया और कन्याएं भी पधार चुकीं थीं। उसने सभी के पैर धोए एवम एक साफ कपड़े से पोछे। सभी को ससम्मान बैठाया एवम भोजन और प्रसाद परोसा। सभी ने आनंदित हो भोजन किया एवम उसकी प्रशंसा की। जो कन्याएं छोटी थीं उनको भूमिका ने अपने हाथों से भोजन करवाया।
                             अब सभी को भोजन करवाने के पश्चात् एक जगह बैठाया गया। उनके रोली कुमकुम का टीका लगाया, उनकी कलाइयों पर लच्छा बांधा, प्रसाद दिया एवम भेट, उपहार और दक्षिणा देकर उनके पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लिया। अतः उन्हें इस प्रकार कर विदा किया। अब वह माता रानी को बारंबार मन ही मन धन्यवाद कहने लगी, क्योंकि उन्हीं की कृपा से आज वह तीन वर्ष बाद कन्याओं का पूजन एवम उनको भोजन करवा पाई थी और उनका आशीर्वाद ले पाई थी।

#30 days फेस्टिवल / रिचुअल कम्पटीशन

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12 Comments

बहुत खूब

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Swati Sharma

20-Nov-2022 12:20 AM

सादर आभार

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Khan

11-Nov-2022 10:54 AM

Bahut khoob 😊

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Swati Sharma

11-Nov-2022 11:06 AM

Thank you 🙏🏻😊

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Sushi saxena

10-Nov-2022 02:25 PM

Nice

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Swati Sharma

10-Nov-2022 08:44 PM

Thanks

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